पतझड़ के मौसम में ,
तुम, बहुत याद आये
मैं शराबी हूँ, तुम्हे याद है ?
देखो लोग झूमते हैं पीकर
मैं झूमता हूँ
तुम्हे सोचकर ..
तुम, बहुत याद आये
मैं शराबी हूँ, तुम्हे याद है ?
देखो लोग झूमते हैं पीकर
मैं झूमता हूँ
तुम्हे सोचकर ..
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
मोहब्बत का नशा है...सर चढ कर बोलता है....
ReplyDeleteसही कहा आपने , शुक्रिया
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