Thursday, August 30, 2012

किन्तु फीका पड़ चूका है मेरा चेहरा ....


उन्होंने कहा
हम हैं भारतवासी
हमें गर्व है ..

मैंने कहा
मैं भी हूँ भारतवासी
और मुझे दुःख है , देखकर
कुपोषण के शिकार बच्चों की तस्वीरें 
सूखे शरीर ,चहरे पर झुर्रिओं के साथ
ज़हर के नीले रंग ढका हुआ 
या फिर फंसी पर लटकता किसान 

होगा तुम्हें गर्व
पर मुझे खेद है
सीखने, खेलने की उम्र में
मजदूरी करता बचपन
मेरे देश में 

चमकता होगा
तुम्हारा राज्य ,
और देश
किन्तु फीका पड़ चूका है
मेरा चेहरा .....

No comments:

Post a Comment

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...