चारो ओर आदमी
सिर्फ आदमी -ही- आदमी
किस काम का यह आदमी ?
रोता आदमी
हँसता आदमी
उन्माद आदमी
सिर्फ आदमी -ही - आदमी
किस काम का यह आदमी
डरा हुआ आदमी
टूटा हुआ आदमी
बेकार -बेरोजगार आदमी
किस काम का यह आदमी
क्रूर आदमी
भयानक आदमी
यांत्रिक आदमी
तांत्रिक आदमी
किस काम का यह आदमी
भ्रष्ट आदमी
नष्ट आदमी
लड़ता आदमी
लड़ाता आदमी
जीता हुआ आदमी
हारा हुआ आदमी
मरता आदमी
बदनाम आदमी
किस काम का यह आदमी ?
पैसा कमाता आदमी
सोता हुआ आदमी
ईर्ष्या से भरा हुआ आदमी
किस काम का यह आदमी ?
बिकता आदमी
बेचता आदमी
बिका हुआ आदमी
व्यापारी आदमी
किस काम का यह आदमी ?
भागता आदमी
थका हुआ आदमी
तपता आदमी
जलता हुआ आदमी
मुहं के बल पड़ा हुआ आदमी
पाला हुआ आदमी
किस काम का आदमी ?
हैरान आदमी
परेशान आदमी
किस काम का आदमी
मुझे म्याफ़ कर देना भाई आदमी .
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इक बूंद इंसानियत
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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बरसात में कभी देखिये नदी को नहाते हुए उसकी ख़ुशी और उमंग को महसूस कीजिये कभी विस्तार लेती नदी जब गाती है सागर से मिलन का गीत दोनों पाटों को ...
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वे सारे रंग जो साँझ के वक्त फैले हुए थे क्षितिज पर मैंने भर लिया है उन्हें अपनी आँखों में तुम्हारे लिए वर्षों से किताब के बीच में रख...
कौन है यह आदमी ??????????
ReplyDeleteसडा अनाज मांगता आदमी,
ReplyDeleteमुफ्त में न देता आदमी,
५ गुना वेतन मांगता आदमी,
फिर भी नहीं संतुस्ट आदमी
बहुत सुन्दर विचार है आपके ........आभार
अति उत्साहित है आदमी। प्रगतीशील है आदमी। आदमी को मारता आदमी। प्रकृति को सष्ट करता आदमी। खुद को सर्व श्रेष्ठ बताता आदमी। खुद को वीज़ी बताता आदमी सब ओर आदमी ही आदमी अतः बड़े काम का है आतमी यह ब्लॉग लिखने वाला भी है आतमी अतः बड़े काम का है आदमी
ReplyDeleteBahut accha hai ye kavita.....U r going to be a great poet of Shining India .
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