आओ खेले
चोर -चोर
देश में फैलाये अँधेरा
घन घोर
करने दो जनता को शोर
विपक्ष को लगाने दो पूरा जोर
आओ खेलें हम चोर - चोर .//
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
इक बूंद इंसानियत
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
-
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
-
बरसात में कभी देखिये नदी को नहाते हुए उसकी ख़ुशी और उमंग को महसूस कीजिये कभी विस्तार लेती नदी जब गाती है सागर से मिलन का गीत दोनों पाटों को ...
-
एक नदी जो निरंतर बहती है हम सबके भीतर कहीं वह नदी जिसने देखा नही कभी कोई सूखा वह नही जिसे प्यास नही लगी कभी मैं मिला हूँ उस ...
भाई ,बचपन में हमलोग ..चोर पुलिस खेलते थे ..क्योकि उस समय पुलिस थी //
ReplyDeleteमगर सही कहा आपने ..अब चोर चोर खेलने का वक़्त आ गया है /
लाज़व्वाब