Sunday, April 1, 2012

कर सकता हूं अनुवाद


मैं कर सकता हूं
 अनुवाद
पीड़ा का , प्रेम का 
आंसुओं से 
अनुवाद कर सकता हूं 
षड्यंत्र और चालाकी का 
चुप्पी और मुस्कान से 
मण्डली, चोला और  बोली देखकर  
कर सकता हूं अनुवाद 
तुम्हारी अपेक्षाओं का ...

मैं मूक जरूर हूं 
पर अचेत नही ......


7 comments:

  1. khamoshi ko anuwadit karna mushkil hai-------
    aur aapki is khamoshi ki takat ko bakhubi bayan karti hai.

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  2. one of the best expression ... that i have you... // a complete verse

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  3. आभार आप सभी का .....

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  4. write sir bt people think silence is weakness which is earliar conceived as weapon

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  5. बहुत सुन्दर भाई . आपके बारे में सुना था. आज पढ़ भी रहा हूँ . बहुत ही गहरी और संवेदनशील लिखते हो दोस्त.
    मैं भी हैदराबाद में ही रहता हूँ . कभी फुर्सत मिले तो मिलते है . मेरे ब्लॉग पर आईये : poemsofvijay.blogspot.in

    vijay

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  6. जी, बहुत आभार ....आप अपना फोन न दीजिए मिलना चाहूँगा .आपके ब्लॉग पर जा रहा हूँ

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...