रात की लम्बाई बढ़ गयी है
या सुबह देर से आने लगी है
इनदिनों
या अंधेरा और सन्नाटे ने
अड्डा जमा लिया है भीतर !
या सुबह देर से आने लगी है
इनदिनों
या अंधेरा और सन्नाटे ने
अड्डा जमा लिया है भीतर !
चारों ओर हाहाकार
चीत्कार
बदबूदार हवा
लावारिस शवों के बीच
चली रही है सांसे
चीत्कार
बदबूदार हवा
लावारिस शवों के बीच
चली रही है सांसे
देह के साथ
सोच भी संक्रमित हो रही है
भरोसा भी अब धोखा देने लगा है
रात की उम्र बढ़ गयी है
अंधकार का साम्राज्य विस्तार ले रहा है
भीतर ही भीतर !
सोच भी संक्रमित हो रही है
भरोसा भी अब धोखा देने लगा है
रात की उम्र बढ़ गयी है
अंधकार का साम्राज्य विस्तार ले रहा है
भीतर ही भीतर !
सटीक और सामयिक प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया , सर
Deleteरात की उम्र बढ़ गयी है
ReplyDeleteअंधकार का साम्राज्य विस्तार ले रहा है
भीतर ही भीतर !
बहुत खूब,गहरी संवेदना ,सादर नमन आपको
शुक्रिया
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