घर के सामने एक गड्ढा
गड्ढे में भरा है बारिश का पानी
उस जमे हुए पानी में
बच्चे बहा रहे हैं
कागज़ के नाव
नाविक रहित नाव
बह रहे हैं
उन्मुक्त होकर जमें हुए पानी में
हल्की ठंडी हवा के झोकों के साथ .
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इक बूंद इंसानियत
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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बरसात में कभी देखिये नदी को नहाते हुए उसकी ख़ुशी और उमंग को महसूस कीजिये कभी विस्तार लेती नदी जब गाती है सागर से मिलन का गीत दोनों पाटों को ...
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