Monday, February 20, 2012

हमने आदत बना ली है

2 comments:

  1. नित्यानंद जी
    बहुत सही लिखा है आपने -हमने धीरे -धीरे आदत बना ली है अन्याय सहने की ....सत्य को नकारने की ..
    ज्ञानवर्धक पंक्तियाँ . ..

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  2. bahut khub...karara vyang, teekhi sachchai....

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...